वह आता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।
भूख से सूख ओठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
wah aata
do took kaleje ke karta
pachhtata path par aata
pet peeth dono milkar hain ek
chal raha lakutiya tek
mutthi bhar daane ko
bhukh mitaane ko
munh fati purani jholi ko failata
do took kaleje ke karta pachhtata path par aata.....
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।
भूख से सूख ओठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
wah aata
do took kaleje ke karta
pachhtata path par aata
pet peeth dono milkar hain ek
chal raha lakutiya tek
mutthi bhar daane ko
bhukh mitaane ko
munh fati purani jholi ko failata
do took kaleje ke karta pachhtata path par aata.....
nirala ki is amar kriti ko sadar pranam
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही आपने
DeleteBachpan k baad aaj parhi. Man gadgad ho gaya.
ReplyDeleteहाँ ये मेरी कक्षा मैं हिंदी की पुस्तक सुबोध भारती मैं थी
DeleteI like this bhikshuk poems and all poor men
ReplyDeleteKaun SA ras hai
ReplyDeleteKarun
Deleteदाता-भाग्य विधाता (God- govt of india) से क्या पाते?--
ReplyDeleteघूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।