वे अनिवार्यत:
पीछे रह जाएंगे।
सेनाएँ हो जाएंगी पार
मारे जाएंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बन्दर कहलाएंगे
पीछे रह जाएंगे।
सेनाएँ हो जाएंगी पार
मारे जाएंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बन्दर कहलाएंगे
- मैं ने देखा
एक बूंद सहसा
उछली सागर के झाग से--
रंगी गई क्षण-भर
ढलते सूरज की आग से।
-- मुझ को दीख गया :
सूने विराट के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से।
उछली सागर के झाग से--
रंगी गई क्षण-भर
ढलते सूरज की आग से।
-- मुझ को दीख गया :
सूने विराट के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से।
साँप !
- तुम सभ्य तो हुए नहीं
- नगर में बसना
- भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ--(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना--
तब कैसे सीखा डँसना--
-
- विष कहाँ पाया?
Beautifully written. I came across your blog by accident and i am happy it happened. I enjoyed reading your blog.
ReplyDeleteIf you get time, have a look at my blogs:
www.beauty-of-sadness.blogspot.com
www.urgency-of-change.blogspot.com